क्रिप्टोकरंसी क्या है। क्रिप्टोकरंसी का आविष्कार क्यों किया गया था।

हेलो फ्रेंड्स हम यहां पर क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पूरी जानकारी देंगे। पिछले 1-2 सालों से जब से कोविड-19 आया है तब से क्रिप्टोकरेंसी, लोगों के बीच में काफी चर्चा में है। अब हम यहां पर पहले क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पूरी जानकारी देंगे की क्रिप्टोकरंसी है क्या और यह कैसे काम करती है। जब हम सभी लोगों को क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पूरी जानकारी होगी तभी हम लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने का निर्णय ले सकते हैं।

हम यहां क्रिप्टोकरंसी से पहले करेंसी कैसे वर्क करती है वह हम पहले हम जान लेते हैं इससे क्रिप्टोकरेंसी को जानने में हेल्प मिलेगी। 

करेंसी के आने से पहले लोग आपस में लेन देन एक वस्तु के दूसरी वस्तु की एक्सचेंज  करके करते थे। जैसे कि मुझे 1 किलो आटा चाहिए तो मेरे पास आधा किलो चावल होने चाहिए इसी प्रकार सभी चीजों का मूल्य तय किया जाता था अगर हमें किसी एक चीज की जरूरत होती तू उसके बदले दूसरी वस्तु हमारे पास होनी चाहिए। इसे हम बॉर्डर सिस्टम(barter system) कहते थे|  किंतु इस सिस्टम में एक शहर से दूसरे शहर के बीच में वस्तुओं को लाना और  लेजाना आसान नहीं था| क्योंकि कोई वस्तु किसी  दूसरी वस्तु के बदले ही  मिल सकती थी|  इस समस्या के समाधान के लिए करेंसी का अविष्कार किया गया|

प्रतिदिन जो हम नोट और सिक्के इस्तेमाल करते हैं वस्तुओं को खरीदने के लिए यही मुख्य करेंसी हैं| हर देश मैं करेंसी  के लिए करेंसी मैनेजमेंट सिस्टम होता है| इस करेंसी को हम फिजिकल करेंसी बोलते हैं| इस करेंसी को और डिटेल में हम एक नए आर्टिकल में अपडेट करेंगे और हम जानेंगे  की एक  देश कितने करेंसी का प्रिंट निकाल सकता है। यह जानना आवश्यक है की करेंसी प्रिंट करने की कोई लिमिट होती है या नहीं कि हर कंट्री अनलिमिटेड करेंसी प्रिंट कर सकता है या नहीं यह सारी  सारी डिटेल अपने अगले आर्टिकल में देंगे जो सिर्फ करंसी से रिलेटेड होगा।

लेकिन करेंसी के आने में करेंसी को मैनेज करने के लिए थर्ड पार्टी की जरूरत पड़ती है, और ज्यादातर थर्ड पार्टी गवर्नमेंट-central authorities होती है। गवर्नमेंट के आने से  बहुत सारी एक्स्ट्रा फीस और कहीं कहीं पर करप्शन देखने को मिलता है।

आइए हम एक छोटे से एग्जांपल से करेंसी में सेंट्रल अथॉरिटीज होने होने से क्या नुकसान है वह समझते हैं।

हम लोग 2008 की मंदी (2008 recession)  को तो सुना होगा उसके पीछे क्या रीजन है आइए हम जानने की कोशिश करते हैं।

  • 2008 की मंदी से पहले अमेरिका में या हम इसे संयुक्त राष्ट्र बोल सकते हैं वहां लोगों के पास बहुत सारा पैसा हुआ करता था और सभी पैसों को लोग बैंकों के पास जमा कर दिया करते थे यानी सेंट्रल अथॉरिटीज|
  • सेंट्रल अथॉरिटीज/केंद्रीय प्राधिकरणों/बैंकों के पास बहुत ज्यादा पैसा जमा होने के कारण उन्होंने नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए जोखिम भरे ऋण देना शुरू कर दिया और ऐसे  Loan पर महत्वपूर्ण चूक(Loan default) का सामना करना पड़ा| बहुत से लोगों ने बैंक के पैसे वापस नहीं कर पाए। 
  • लोगों के पैसे वापस करने में असमर्थता के कारण, कई बैंक ध्वस्त हो गए और दिवालिएपन के लिए दायर किया गया।
  • इसी  कारण से सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक हो गया था।
  • इस सिचुएशन में जब भी सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक हो जाता है, सरकार केंद्रीय बैंक से अधिक धन print करने के लिए कहती है| और यहीं से करेंसी की वैल्यू घट जाती है। 
  • मुख्य रूप से, अधिक पैसे की छपाई के साथ, पैसे का मूल्य कम हो जाता है और अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। उदाहरण के तौर पर, यदि आपके पास 200 Rs है और देश में कुल 1000 Rs है, तो आपके पास 20% धन है। यदि सरकार अतिरिक्त 1000 Rs प्रिंट करती है, तो आपके पास केवल 10% धन hi rah jata और इससे आपके धन का मूल्य कम हो जाता है।

2008 के संकट में यही हुआ था। बैंकों द्वारा बैड लोन देने की वजह थी। पैसे छापना एक akhri rasta था जिसने इस  case में मदद की।

इसकी वजह से Nov 01, 2008 , सतोशी नाकामोटो नाम के आदमी ने क्रिप्टो करेंसी का आविष्कार किया जिसे हम बिटकॉइन कहते हैं| यह क्रिप्टो करेंसी पूर्ण रूप से डिसेंट्रलाइज्ड मैनेज होती है| इसमें गवर्नमेंट का किसी प्रकार से नियंत्रण नहीं रहता  है। 

आइए जानते हैं कि Cryptocurrency के मेन पॉइंट क्या है 

– Cryptocurrency डिजिटल पैसे का विकेंद्रीकरण-decentralization, blockchain तकनीक पर आधारित है।  ब्लॉकचेन टेक्निक को हम नए आर्टिकल में डिटेल से बताएंगे कि यह कैसे काम करती हैं|

– “क्रिप्टोकरेंसी” शब्द एन्क्रिप्शन तकनीकों से लिया गया है जिनका उपयोग नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है। 

– क्रिप्टोकरेंसी दो पक्षों के बीच सीधे फंड ट्रांसफर करती है,  बिना किसी थर्ड पार्टी की आवश्यकता के।

– ये transfers सार्वजनिक कुंजी-public key और निजी कुंजी-private keys और प्रोत्साहन प्रणालियों के विभिन्न रूपों के उपयोग से सुरक्षित हैं, जैसे कार्य का प्रमाण-Proof of Work या हिस्सेदारी का प्रमाण-Proof of Stake।

सो फ्रेंड्स आप लोग कमेंट  कम कर सकते हैं कि  यह  आर्टिकल आपको कैसा लगा और हम लोग इसमें क्या ऐड कर सकते हैं कमेंट करना ना भूलें।

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